चेहरे (Face) का गोरा (Glowing) रंग कैसे पाएं।

त्वचा शरीर का वाह्य आवरण होती है जिसे वाह्य त्वचा (एपिडरमिस) भी कहते है।यह वेष्टन प्रणाली का सबसे बड़ा अंग है। जो उपकला ऊतकों की कई परतों द्बारा निर्मित होती है। और अंतर्निहित मांसपेशियों, अस्थियों,अस्तिबंध (लिगामेंट) और अन्य आंतरिक अंगों की रक्षा करती है।

 क्योंकि यह सीधे वातावरण के संपर्क में आती है। इसलिए त्वचा रोग जनको के खिलाफ शरीर की सुरक्षा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अन्य कार्यों में जैसे तापावरोधन, (इन्सुलेशन) तापमान, विनियमन, संवेदना, विटामिन डी का संश्लेषण और विटामिन बी फोलेट का संरक्षण करती है।बुरी तरह से क्षतिग्रस्त त्वचा निशान ऊतक बनाकर चंगा होने की कोशिश करती है।यह अक्सर रंगहीन, वर्णहीन होता है।

मानव त्वचा का वर्ण प्रजाति के अनुसार बदलता है। और त्वचा का प्रकार शुष्क से लेकर तैलीय हो सकता है।

त्वचा के किसी भाग के असामान्य अवस्था को चर्मरोग (Dermatosis कहते है। त्वचा शरीर का सबसे बड़ा तंत्र है।यह सीधे बाहरी वातावरण के संपर्क में होता है। इसके अतिरिक्त बहुत से अन्य तंत्रों या अंगों के रोग (जैसे बवासीर) भी त्वचा के माध्यम से अभिव्यक्त होते है।

त्वचा शरीर का सबसे विस्तृत अंग है। साथ ही यह वह अंग है। जो वाह्य जगत के संपर्क में रहता है। यही कारण है। इसे अनेक वस्तुओं से हानि पहुंचती है।इस हानि का प्रभाव शरीर के आंतरिक अवयवों पर नहीं पड़ता है।

त्वचा के रोग विभिन्न प्रकार के होते है। त्वचा सरलता से देखी जा सकती है इस कारण इसके रोग चाहे चोट से हो अथवा संक्रमण (Infection) से हो रोगी का ध्यान अपनी ओर तुरंत आकर्षित कर लेते है।
त्वचा रोग के विभिन्न कारण

त्वचा के रोग अनेक कारणों से होते है।इन कारणों पर प्रकाश डालने के पूर्व यह जान लेना आवश्यक है।कि प्रत्येक मनुष्य की त्वचा एक जैसी नहीं होती और न ही इस पर समान कारणों का एक जैसा प्रभाव ही पड़ता है।

जन्मजात कारण

त्वचा संबंधी कुछ रोग जन्म से होते है।जिनका कारण त्वचा का कुविकास,(Male development) है।इस प्रकार के रोग जन्म के कुछ दिन पश्चात ही आ जाते है। एवं अन्य लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते है। उदाहरणार्थ लाल उठे हुए धब्बे (nevus) जिनमें रक्त झलकता है।ये शरीर के किसी अंग पर निकल सकते है।ये चिन्ह (scar) तीन चार वर्ष की आयु में अपने आप मिट जाते है। इसकी किसी विशेष चिकित्सक से चिकित्सा करानी चाहिए। जिससे कोई खराब उभरा हुआ चिन्ह न रह जाए।

इसके अतिरिक्त कुछ मनुष्यों की त्वचा सूखी और मछली की त्वचा की भांति होती है।यह जन्म भर ऐसी ही रहती है। ऐसे व्यक्ति को साबुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कुछ मनुष्यों की त्वचा,बाल और आंखों का स्वच्छ मंडल (cornea) श्वेत होता है। ऐसे व्यक्ति को सूरजमुखी अथवा वर्ण हीन (albino) कहते है। सूर्य की किरणें इनके लिए अत्यंत हानिकारक होती है। इन्हें सदैव धूप से बचें रहना चाहिए। तथा धूप में निकलते समय “धूप का चश्मा” उपयोग में लाना चाहिए।

भौतिक कारण

त्वचा पर भौतिक कारणों (physical cause) से भी कुछ रोग होते है। जैसे किसी वस्तु के त्वचा पर दबाव तथा रंग, गर्मी, सर्दी, एवं एक्सरे (X Rays) के प्रभाव के कारण उत्पन्न रोग त्वचा पर कठोर दबाव के कारण ठेस पड़ जाती है। जिसमें दबाव के कारण पीड़ा होती है। कभी कभी ऐसा भी देखा गया है।कि निरंतर दबाव पड़ने पर त्वचा पतली पड़ जाती है। जैसे पोतों में आतं उतरना, इसकी रोकथाम के लिए कमानी पहनते है। अधिक भीगने पर त्वचा सिकुड़ती है। और छूटने लगती है।इस तरह की त्वचा पर साबुन का बुरा प्रभाव पड़ता है।इस प्रकार की त्वचा धोबी, घर में काम काज करने वाले नौकर, होटल के रसोइए तथा बर्तन साफ करने वालों की होती है।हाथ पैर की त्वचा के साथ साथ उंगलियों और नाखून पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

त्वचा पर ठंड का भी बुरा प्रभाव पड़ता है। विशेषकर यदि ताप शून्य से नीचा हो। अधिक शीत से त्वचा की कोमल (delicate) छोटी छोटी महीन रक्तवाहिनी शिराएं शिकुडने लगती है। तथा त्वचा नीली पड़ जाती है।इन शिराओं में रक्त जम जाता है। तथा अंग गल जाता है।इस रोग को तुषार रोग (Frost bite) कहते है।इसका प्रभाव कान, नाक, और हाथ,पैर की उंगलियों पर पड़ता है। अधिक शीत के कारण कुछ लोगों के हाथ पैर की उंगलियां सूज जाती है।लाल पड़ जाती है। उनमें घाव भी हो जाते है।इस रोग से बचने के लिए पौष्टिक भोजन करना चाहिए। और उंगलियों को दस्ताना पहन कर गरम रखना चाहिए। यहां पौष्टिक भोजन से तात्पर्य अधिक प्रोटीन और वसायुक्त भोजन से है।

रसायनों का प्रभाव

त्वचा पर रासायनिक पदार्थों जैसे अम्ल और क्षार आदि का बुरा प्रभाव पड़ता है। भारत संप्रति औधोगीकरण की ओर अग्रसर हो रहा है।अतएव अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थों का प्रयोग अनिवार्य है। एसी स्थिति में त्वचा के बहुत से रोग, त्वचा पर इन रसायनों के बुरा प्रभाव डालने के कारण दृष्टिगोचर होंगे।

अस्वच्छता एवं संसर्ग जनित रोग।

हमारे देश में अधिकांशतः त्वचा के वे रोग देखें जाते है। जो शरीर की पूर्ण सफाई न करने, निर्धनता, निरंतर स्नान न करने तथा रोगी पशुओं की त्वचा के स्पर्श से हो जाते है। इस प्रकार के रोग छूत के रोग होते है। और एक दूसरे के संसर्ग से लग जाते है।

आदमी ने अपनी पहचान (Identity) अपने चेहरे (Face) से बनाई है। आदमी ने अपने शरीर के सभी अंगों (Orgon) को ढक( wrap) लिया है। सिर्फ (only) चेहरे (Face) को खुला (open) रखा है। चेहरा (face) आदमी का व्यक्तित्व (Personality) बन गया है। आधुनिक युग में आदमी का चेहरा ( face) आदमी की बहुमूल्य सम्पत्ति (Treasury) है। आधुनिक आदमी प्रकृति से दूर होता जा रहा है। या ऐसा कहे कि प्रकृति से बहुत दूर आ गया है। आधुनिक मानव अब करीब करीब यांत्रिक मानव बन गया है। उसे रोजाना प्रदूषण , वातावरण से लड़ना पड़ता है। आधुनिक दुनिया एक यांत्रिक दुनिया बन गई है।
इसे पढ़े।
👉-चेहरा आदमी का व्यक्तित्व है। या सबकुछ है। चेहरे से आदमी की पहचान है। चेहरा आदमी का सबसे महत्वपूर्ण अंग है।
👉- हमारे फेफड़े में 6000 छिद्र होते है। लेकिन आम आदमी के 500/600 छिद्र ही खुले होते है। बाकी सभी छिद्र बंद होते है।
👉- यदि शुबह प्रातः काल उठकर या शाम के समय प्रत्येक दिन फेफड़ों में हवा मुंह और नाक दोनों से पूरी ताकत से भरें और पूरी ताकत से ख़ाली करें।इस क्रिया को नियमित करें जितना समय मिले या जितना कर सके।
👉-कुछ दिनों के बाद आप महसूस करेंगे कि आप ऊर्जावान होने लगें है। और फेफड़ों के बंद छिद्र खुलने लगे है। वातावरण से हवा का आदान प्रदान बढ़ गया है।
👉- जब 2000/3000 तक छिद्र खुल जायेंगे तो चेहरे पर प्राकृतिक चमक आ जाएगी। जो कभी जायेंगी नहीं। सतत बनी रहेगी।

👉- मुल्तानी मिट्टी को गुलाब जल में मिलाकर पेस्ट बनाएं। 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। चेहरे को रगड़ कर न पोंछे। चेहरे को रुमाल से या तौलिया से थपथपाकर पोंछे। इसे हफ्ते में तीन बार करें।
👉-संतरे के छिलके का पाउडर और उसमें गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। फिर 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। इसे हफ्ते में तीन बार करें।
👉- पपीता का पेस्ट बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। इसे हफ्ते में तीन बार करें।
👉- टमाटर का पेस्ट बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर पेस्ट बनाएं। 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। इसे हफ्ते में तीन बार करें।
5- कच्चे दूध में बेसन मिलाकर पेस्ट बनाएं। 20 मिनट तक चेहरे पर लगा रहने दें। फिर गुनगुने पानी से धो लें। इसे हफ्ते में तीन बार करें।

👉 टिप्स-सर्दियो में चेहरे को गुनगुने पानी से धोना चाहिए।
👉टिप्स -गर्मियो में चेहरे को ठंडे पानी से धोना चाहिए।
👉 टिप्स-हल्दी एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी कैसंर , एंटी एजिंग, आदि गुणों से भरपूर है हल्दी को कच्चे दूध में मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स -बेसन एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट, आदि गुणों से भरपूर है। बेसन में दही मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – बेसन को नींबू के रस साथ मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स -टमाटर के रस में बेसन मिलाकर लगाना चाहिए
👉-नीबू के रस में खीरे का रस मिलाकर और चुटकी भर बेसन मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – आलू एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। कच्चे आलू को दो भागों में काटकर फिर हल्के हाथों से चेहरे पर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – चन्दन को घिसकर लेप बनाकर लगाना चाहिए।
👉टिप्स – चन्दन पाउडर में एक चम्मच हल्दी और कच्चे दूध में मिलाकर लेप बनाकर लगाना चाहिए ‌

👉- मनुष्य ने अपनी पहचान सिर्फ चेहरे से बनाई है। क्योंकि आदमी ने अपने पूरे शरीर को कपड़े से ढ़क लिया है। सिर्फ चेहरे को खुला रखा है। इसलिए चेहरे की देखभाल भी अधिक करनी पड़ती है।
👉- चेहरा आदमी के पूरे व्यक्तित्व की पहचान है। या चेहरा ही आदमी का पूरा व्यक्तित्व है।
👉- इसलिए जब चेहरा मनुष्य के व्यक्तित्व का एक प्रतीक बन गया। तब विभिन्न प्रकार के कास्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की खोज हुई है।
👉- विभिन्न प्रकार के अप्राकृतिक प्रोडक्ट्स भी बिक रहे है। या विभिन्न प्रकार के रासायनिक प्रोडक्ट्स बिक रहे है। जिनके साइड इफेक्ट्स होते है।
👉- विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक प्रोडक्ट्स भी होते है। जिन्हें आप घरेलू नुस्खे नाम से जानते हो।
इसे पढ़े।
हमारे चेहरे को नुक्सान पहुंचाने वाले तत्व।
वातावरण ,प्रदूषण ,धूप ,गर्मी सर्दी
वातावरण का सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। हमारा शरीर 37°C पर रहने के लिए Survive करने के लिए बना है। यदि वातावरण का तापमान 37°C से बढ़ता है तो उसे हम गर्मी कहते है
जब वातावरण का तापमान 37°C कम हो जाता है तो उसे हम सर्दी कहते है।
पेट्रोल, डीजल,गैसोलीन, फैक्ट्रियों में जलने वाले ईंधन ने हमारे वातावरण की वायु को जहरीला बना दिया है। वायु में घुले हुए ज़हर से चेहरे की सुरक्षा करना जरूरी है। क्योंकि चेहरा खुला अंग है।

👉 टिप्स-सर्दियो में चेहरे को गुनगुने पानी से धोना चाहिए।
👉 टिप्स -गर्मियो में चेहरे को ठंडे पानी से धोना चाहिए।
👉 टिप्स-हल्दी एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी कैसंर , एंटी एजिंग, आदि गुणों से भरपूर है हल्दी को कच्चे दूध में मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स -बेसन एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट, आदि गुणों से भरपूर है। बेसन में दही मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – बेसन को नींबू के रस साथ मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स -टमाटर के रस में बेसन मिलाकर लगाना चाहिए
👉-नीबू के रस में खीरे का रस मिलाकर और चुटकी भर बेसन मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – आलू एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। कच्चे आलू को दो भागों में काटकर फिर हल्के हाथों से चेहरे पर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – चन्दन को घिसकर लेप बनाकर लगाना चाहिए।
👉टिप्स – चन्दन पाउडर में एक चम्मच हल्दी और कच्चे दूध में मिलाकर लेप बनाकर लगाना चाहिए ‌।

👉 टिप्स-सर्दियो में चेहरे को गुनगुने पानी से धोना चाहिए।
👉 टिप्स -गर्मियो में चेहरे को ठंडे पानी से धोना चाहिए।
👉 टिप्स-हल्दी एंटी ऑक्सीडेंट, एंटी कैसंर , एंटी एजिंग, आदि गुणों से भरपूर है हल्दी को कच्चे दूध में मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स -बेसन एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट, आदि गुणों से भरपूर है। बेसन में दही मिलाकर लगाना चाहिए।
👉टिप्स – बेसन को नींबू के रस साथ मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स -टमाटर के रस में बेसन मिलाकर लगाना चाहिए
👉-नीबू के रस में खीरे का रस मिलाकर और चुटकी भर बेसन मिलाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – आलू एंटी एजिंग, एंटी ऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। कच्चे आलू को दो भागों में काटकर फिर हल्के हाथों से चेहरे पर लगाना चाहिए।
👉टिप्स – चन्दन को घिसकर लेप बनाकर लगाना चाहिए।
👉 टिप्स – चन्दन पाउडर में एक चम्मच हल्दी और कच्चे दूध में मिलाकर लेप बनाकर लगाना चाहिए ‌।

👉- मनुष्य ने अपनी पहचान सिर्फ चेहरे से बनाई है। क्योंकि आदमी ने अपने पूरे शरीर को कपड़े से ढ़क लिया है। सिर्फ चेहरे को खुला रखा है। इसलिए चेहरे की देखभाल भी अधिक करनी पड़ती है।
👉- चेहरा आदमी के पूरे व्यक्तित्व की पहचान है। या चेहरा ही आदमी का पूरा व्यक्तित्व है।
👉- इसलिए जब चेहरा मनुष्य के व्यक्तित्व का एक प्रतीक बन गया। तब विभिन्न प्रकार के कास्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की खोज हुई है।
👉- विभिन्न प्रकार के अप्राकृतिक प्रोडक्ट्स भी बिक रहे है। या विभिन्न प्रकार के रासायनिक प्रोडक्ट्स बिक रहे है। जिनके साइड इफेक्ट्स होते है।
👉- विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक प्रोडक्ट्स भी होते है। जिन्हें आप घरेलू नुस्खे नाम से जानते हो।
इसे पढ़े।
हमारे चेहरे को नुक्सान पहुंचाने तत्व।
वातावरण, प्रदूषण ,धूप ,गर्मी ,सर्दी
वातावरण का सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। हमारा शरीर 37°C पर रहने के लिए Survive करने के लिए बना है। यदि वातावरण का तापमान 37°C से बढ़ता है तो उसे हम गर्मी कहते है
जब वातावरण का तापमान 37°C कम हो जाता है तो उसे हम सर्दी कहते है।
पेट्रोल, डीजल,गैसोलीन, फैक्ट्रियों में जलने वाले ईंधन ने हमारे वातावरण की वायु को जहरीला बना दिया है। वायु में घुले हुए ज़हर से चेहरे की सुरक्षा करना जरूरी है। क्योंकि चेहरा खुला अंग है।

निष्कर्ष (Conclusion)- आप स्वयं जानते होंगे।कि प्राकृतिक तरीके से गोरा रंग पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है। आसानी से गोरा रंग नहीं मिलता है। और भी बहुत से तरीके है। गोरा रंग पाने के उन्हें हम अगले Blog में लिखेंगे। आप इस ब्लाग को दोस्तों मित्रों में शेयर जरुर करना। कोई विशेष बात हो तो कमेंट करना। हम रिप्लाई देंगे।

Leave a Comment

Share via
Copy link
Powered by Social Snap