इस लेख में आप जानेंगे। कि पानी पीने का सही तरीका क्या है। यदि आप सही तरीके से पानी का सेवन करते हैं ।तो 90% बीमारियां शरीर से अपने आप चली जाएंगी। अगर आप गलत तरीके से पानी का सेवन करते हैं। तो 90% बीमारियां शरीर में हो जाएंगी। आयुर्वेद में पानी पीने के तरीके पर बहुत जोर दिया गया। है। पानी पीने के सही तरीके क्या है ।और गलत तरीके क्या हैं। इसकी पूरी जानकारी इस लेख में दी जाएगी। आयुर्वेद के अनुसार पानी पीने के सही तरीके क्या-क्या है। और गलत तरीके क्या-क्या है। इसकी पूरी जानकारी इस लेख में दी जाएगी।
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आयुर्वेद क्या है ? What is ayurved?
आयुर्वेद एक बड़ा ग्रंथ है। जिसको कई लोगों ने मिलकर लिखा है। आयुर्वेद एक आदमी द्वारा लिखित ग्रंथ नहीं है। इस ग्रंथ को कई आदमियों ने मिलकर लिखा है। इस ग्रंथ में पानी पीने के सही तरीके पर विशेष जोर दिया गया है।
आयुर्वेदिक के रचनाकार कौन कौन से हैं।
ब्रह्मा जी ,के शिष्य अग्निवेष थे। और अग्निवेष के शिष्य चरक ऋषि थे। चरक ऋषि के शिष्य बागभट्ट, सुश्रुत,पराशर,निघंटू आदि थे। इन लोगों ने अपने अलग-अलग ग्रंथ लिखे है। इन सभी आदमियों के लिखे ग्रंथ को जोड़कर एक ग्रंथ बना जिसे आयुर्वेद कहते है।
बागभट्ट आयुर्वेद क्या है।
बागभट्ट ने आयुर्वेद में अपने दो ग्रंथ लिखे है। अष्टांग हृदयम और अष्टांग स्रंगहम, बागभट्ट ने आदमी को कैसे जीवन जीना चाहिए। इसके तरीकों पर यह ग्रंथ लिखे है। बागभट्ट ने पानी पीने के कुछ तरीके बताएं है। बागभट्ट कहते हैं। कि आदमी अगर इन तरीकों से पानी पिएगा ।तो उसे 90% बीमारियां नहीं होंगी। और अगर गलत तरीके से पानी पिएगा। तो उसे 90% बीमारियां होंगी।
पानी पीने का सही तरीका क्या है।?
पानी पीने के तरीकों में चार प्रकार के तरीके बागभट्ट जी ने बताएं है।
बागभट्ट कहते हैं। “भोजनान्ते विषम वारि” खाना खाने के बाद पानी पीना विष पीने के समान है।
खाना खाने के डेढ़ घंटे बाद पानी पीना चाहिए।
क्योंकि शरीर के अंदर जठराग्नि पाई जाती है। जो भोजन को पचाती है। यदि आदमी भोजन करने के तुरंत बाद पानी पी लेगा। तो जठराग्नि बुझ जाएगी। और भोजन का पाचन नहीं होगा। जब भोजन का पाचन नहीं होगा। तो भोजन सडेंगा। जब भोजन छोड़ेगा तो दूषित वायु बनेगी। दूषित वायु पूरे शरीर में घूमेगी। और 90% बीमारियां पैदा करेगी।
खाना खाने के बाद फलों का रस, मट्ठा, दूध पीना चाहिए।
सुबह के समय क्या पीना चाहिए।
सुबह के समय फलों को पचाने वाले एंजाइम निकलते है। इसलिए सुबह के समय फलों का रस पीना चाहिए।
दोपहर के समय क्या पीना चाहिए।
दोपहर के समय मट्ठा पीना चाहिए। क्योंकि मट्ठे को पचाने वाले इंजाइम दोपहर के समय निकलते हैं।
शाम के समय क्या पीना चाहिए।
शाम के समय दूध को पीना चाहिए। क्योंकि दूध को पचाने वाले एंजाइम शाम के समय निकलते है। इसलिए शाम के समय दूध का सेवन करना चाहिए।
ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए।
क्योंकि जब ठंडा पानी पिया जाता है ।तो पूरे शरीर का ब्लड पेट की ओर दौड़ता है ।और उस पानी को गरम करने के लिए, शरीर के तापमान पर लाने के लिए, इससे शरीर के दूसरे अंगों में ब्लड की सप्लाई कम हो जाती है। और उन अंगों को नुकसान पहुंचता है ।इसलिए ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए।
प्रात:काल उठकर पानी पीना चाहिए।
क्योंकि प्रात:काल उठकर पानी पीने से आंतों में जमा कचरा साफ हो जाता है ।और आंतें सही तरीके से दिन भर काम करती हैं। इसलिए प्रातः काल उठ कर पानी पीना चाहिए।
निष्कर्ष
बागभट्ट जी के अनुसार, भोजन करने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए। भोजन करने के डेढ़ घंटे बाद पूरा पानी पीना चाहिए। क्योंकि डेढ़ घंटे तक भोजन जठराग्नि के प्रभाव में रहता है। अगर पानी पी लोगे ।तो जठराग्नि बुझ जाएगी। और भोजन बचेगा नहीं। जब भोजन बचेगा नहीं तो सडेगा। भोजन सडेंगा तो 90 % बीमारियां पैदा करेगा।
ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए।
प्रातः काल उठकर पानी पीना चाहिए।
